आज़ादी के मशहूर तराने


भारत के स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण कुछ चुनिंदा गीतों का संकलन

ये देश है वीर जवानों का

जोश और उन्माद से भरा गीत हुआ ये गीत है 1957 में रिलीज़ हुई बी आर चोपड़ा की फ़िल्म 'नया दौर' का. तत्कालीन युवा शक्ति और ऊर्जा को प्रकट करता ये गीत मोहम्मद रफ़ी ने बेहद ख़ूबसूरती से गाया है और पर्दे पर इसे उतनी ही ख़ूबसूरती से पेश भी किया गया है.
ओपी नैय्यर ने जिस जोश से गीत के बोलों को संगीत में पिरोया है उस वजह से ये राष्ट्रीय पर्वौं के अलावा पारिवारिक समारोहों का भी हिस्सा बन चुका है.

जन गण मन अधिनायक जय हे

1911-12 के आसपास इस गीत को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने रचा था. इसे 1950 में भारत के संविधान में राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया गया.
इस गीत में भारत की भौगोलिक स्थिति के ज़रिए देशप्रेम की भावना व्यक्त की गई है. ये गीत हर भारतीय का अभिन्न हिस्सा बन चुका है.
'शहीद'
फ़िल्म 'शहीद' का गीत ऐ वतन ऐ वतन भी ख़ासा लोकप्रिय देशभक्ति गीत है.
1912 की विश्व भारती बोर्ड की इस गीत की रिकॉर्डिंग को दोबारा रिलीज़ किया गया.

जो समर में हो गए अमर

ये ख़ूबसूरत श्रद्धांजलि गीत है जिसे लता मंगेशकर ने जयदेव के संगीत में गाया था. इसे 'स्वरांजलि' एलबम में लिया गया है.
पंडित नरेन शर्मा के बोलों को लता मंगेशकर ने बहुत डूब कर गाया है जो उनके हर श्रद्धांजलि गीत की तरह रुला कर जाता है.

सारे जहां से अच्छा

ये एक बेहतरीन कविता है जिसे डॉ. अलामा इक़बाल ने लिखा है. इस गीत को 'भाई-बहन' और 'धरम पुत्र' जैसी फ़िल्मों में भी रखा गया है.
'धरम पुत्र' में इसे मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले ने गाया है.

वंदे-मातरम

उपकार
फ़िल्म उपकार का गीत 'मेरे देश की धरती' एक तरह से ग़ैर आधिकारिक राष्ट्रगीत है.
बंकिम चंद्र चटर्जी की इस ओजस्वी रचना को फ़िल्म 'आनंद मठ' में लिया गया है.
हेमंत कुमार ने इस गीत को संगीतबद्ध किया है जिसे लता मंगेशकर ने गाया है.

मेरे देश की धरती सोना उगले

इसे अगर मैं भारत का ग़ैर आधिकारिक रूप से राष्ट्रगीत कहूं तो अतिशयोक्ति ना होगी. इस गीत में स्वतंत्र भारत की छवि को बहुत अच्छी तरह से पेश किया गया.
भारत किसानों का देश है और इस बात को इस गीत में भी समझाया गया है. महेंद्र कपूर ने इसे ओजस्वी तरीके से गाया है और कल्याण जी-आनंद जी का संगीत भी उतना ही लाजवाब है.

ऐ वतन ऐ वतन

भारत के स्वतंत्रता संघर्ष का बेहद अहम हिस्सा है भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत और यही फ़िल्म शहीद की विषय वस्तु है.
प्रेम धवन ने 60 के दशक में आई इस फ़िल्म में बेहतरीन संगीत रचा है जिसमें देशभक्ति की भावना के साथ-साथ मेलोडी भी है.
ये गीत हर राष्ट्रीय पर्व का अभिन्न हिस्सा बन चुका है.

दे दी हमें आज़ादी

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने वाले इस गीत को संगीबद्ध किया है हेमंत कुमार ने और इसे गाया है आशा भोसले ने. इसे लिखा था कवि प्रदीप ने. ये गीत फ़िल्म 'जागृति' का है.
लता मंगेशकर
लता मंगेशकर के गाए गीत 'ऐ मेरे वतन के लोगो' सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखों में आंसू आ गए थे.
फ़िल्म में मुख्य भूमिका निभाने वाले बाल कलाकार मास्टर रतन इसकी रिलीज़ के एक साल बाद ही पाकिस्तान में बस गए थे. तब पाकिस्तान में फ़िल्म 'जागृति' जैसी ही एक फ़िल्म बनाई गई जो मोहम्मद अली जिन्ना पर आधारित थी और बिलकुल इसी गीत की धुन पर एक दूसरा गीत रचा गया.

दूर हटो ऐ दुनिया वालो

ये गीत 1943 में आई फ़िल्म 'किस्मत' का है. फ़िल्म 'किस्मत' भारत के इतिहास की पहली ब्लॉक बस्टर फ़िल्म थी. इसका संगीत अनिल बिस्वास ने दिया है.

ऐ मेरे प्यारे वतन

देशप्रेम के गीतों में मैं इस गीत को सर्वश्रेष्ठ मानता हूं. ये गीत फ़िल्म 'काबुलीवाला' का है और इसे मन्ना डे ने बेहद ख़ूबसूरती से गाया है. गीत के बोल प्रेम धवन के हैं और संगीत सलिल चौधरी का है.
फ़िल्म में ये गीत नायक पर फ़िल्माया गया है जो एक अफ़गानी किरदार है. लेकिन ये गीत हर देश के दर देशवासी पर फ़िट हो सकता है.

भारत हमको जान से प्यारा है

कवि प्रदीप, लता मंगेशकर और संगीतकार सी रामचंद्
कवि प्रदीप, लता मंगेशकर और संगीतकार सी रामचंद्र. कवि प्रदीप ने भी कई देशभक्ति गीत लिखे.
मैं पिछले दो दशकों में ए आर रहमान को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म संगीतकार मानता हूं. और ये गीत भी इसी का परिचायक है.
पीके मिश्रा के बोलों को हरिहरन ने अपनी बेहतरीन गायकी से उभारा है लेकिन ए आर रहमान का अरेंजमेंट इस गीत में सुनने लायक है. कोरस को जिस तरीके से इसमें इस्तेमाल किया है और जैसे ये गीत हाई नोट पर ख़त्म होता है वो वाकई क़ाबिल-ए-तारीफ़ है.

ऐ मेरे वतन के लोगो

देशभक्ति के गीतों का ज़िक्र इस गीत की चर्चा किए बिना अधूरा होगा. ये गाना 1962 में भारत-चीन युद्ध में मारे गए भारतीय सैनियों को श्रद्धांजलि देने के लिए रचा गया था.
कवि प्रदीप के शब्दों को लता मंगेशकर ने कुछ ऐसे गाया है कि सुनने वालों की आंखों में आंसू आ जाते हैं. कहा भी जाता है कि इस गीत को सुनकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आंखें भी नम हो गई थीं.

Comments

Popular posts from this blog

SEX and the Indian Temples

Different Folk Songs of Assam

Piya Se Naina:Amir Khusro - A journey of different moods